एक चुड़ैल की कहानी  Ghost stories in hindi | Horror story in hindi | इस  दुनिया में  बहुत से ऐसे किस्से सच हुए है, जो सिर्फ हम अपने बढ़े-बुजुर्गो से सुनते आये है जो काफी हद्द तक सच भी हुए है, जहा किसी का होना महसूस हुआ है, पर ये एक एहसास ही है। जिसमे में हम किसी शक्ति की या अदृश्ये शक्ति के मौजूदगी का पता चलता है, तो वैसे ही एक सच्ची घटना पर आधारित Real Horror Story आपके लिए आये है।

Chudail traps Abhiru in her trap

नमस्कार दोस्तों मैं आपका अनुभव, आज मैं लेकर आया हूं एक नई कहानी एक सत्य घटना (Haunted Story) पर आधारित। यह कहानी है राजस्थान के बूंदी में रहने वाले एक बच्चे की जिसका नाम था 'अभिरु' (Abhiru)। उसकी उम्र महज 12 वर्ष थी। अभीरु एक बहुत ही मासूम परंतु बहुत नटखट बच्चा था। अभीरू के परिवार में उसके मां-बाप अभिषेक (Abhishek), रूपल (Rupal) और और उसकी बड़ी बहन स्वाति (Swati) रहती थी ।


अभिरू एक बहुत ही जिद्दी बचा था जो अपने मां-बाप का कहना नहीं मानता था, एक दिन अभिरु अपने मां बाप और बहन के साथ बूंदी के प्रसिद्ध नीलकंठ महादेव मंदिर में गया। 


अभिरू की मां रूपल ने कहा 'अभिरु। कहीं मत जाना हमारे साथ रहना, और कोई कुछ दे तो उसे बिल्कुल भी मत खाना'। 

जैसा कि अभिरु का स्वभाव था किसी का कहना ना मानना, अभिरु वहां मंदिर में इधर - उधर भाग रहा था खेल रहा था। वही मंदिर की सीढ़ियों पर एक काली सी फटी सी साड़ी पहनकर एक औरत बैठी हुई थी उसके हाथ में एक लाठी और झोला था।


वह औरत लगातार अभिरु को घूरे जा रही थी और उसने इशारों में अभिरु को अपने पास बुलाया और अभिरु भी उस औरत के पास बिना सोचे समझे उसके पास चला गया। 


उस औरत ने अभिरु का नाम पूछा 'तुम्हारा नाम क्या है बच्चा', 

अभिरु ने कहा 'मेरा नाम अभिरु है'। 

उस औरत ने कहा 'बहुत ही प्यारा नाम है, भूख लगी है कुछ खाओगे'।


अभिरू ने कहा 'नहीं - नहीं मुझे कुछ नहीं खाना, उस औरत ने कहा 'देख लो तुम्हारे लिए मैं चॉकलेट ले कर आई हूं अगर तुम नहीं खाओगे तो यह चॉकलेट में किसी और को दे दूंगी'।


अभिरू का मन ललचा जाता है और वह उस औरत के हाथ से चॉकलेट ले लेता है और खाने लग जाता है। मंदिर के सामने फूल और प्रसाद बेचने वाली एक औरत अभिरु और उस औरत को देख रही थी। अभिरू को चॉकलेट खिला कर वह औरत अभिरु से बोली 'मेरा भी एक बच्चा था बिल्कुल तुम्हारे जैसा तुम्हें देख कर मुझे अपने बच्चे की याद आ गई लेकिन...??? 

इतना बोल कर वह औरत खड़ी हो जाती है और अभिरु के सर पर हाथ रख कर आंख बंद करके मन ही मन कुछ बोलती है और वहां से चली जाती है। 


उधर अभिरु की मां रूपल अभिरु को ढूंढ रही थी इतने में अभिरु अपनी मां के पास आ जाता है.... और कहता है 'मम्मी मम्मी मैं यहां हूं'।


 अभिरू का पिता अभिषेक कहता है 'चलो! अब घर चलते हैं बहुत देर हो गई'। 

मंदिर की सीढ़ियों से उतरते समय अभिरु को चक्कर आने लगते हैं और वह वही सीढ़ी पर गिर जाता है, अभिषेक अपने बेटे को उठाता है और उसे होश में लाने की कोशिश करता है। आसपास के कुछ लोग भी इकट्ठा हो जाते हैं और वह फूल प्रसाद बेचने वाली औरत भी वहा आ जाती है और रूपल से कहती है 'इसने एक औरत के हाथ से चॉकलेट खाई थी थोड़ी देर पहले'। 

रूपल कहती है 'कौन औरत कहां है, वह औरत?? 

वह औरत कहती है 'पता नहीं बहन जी... उस औरत ने आपके बेटे को चॉकलेट दी और चली गई'।

वहीं पास में खड़ा एक आदमी अभिरु के चेहरे पर पानी के छींटे मारता है थोड़ी देर बाद अभिरु को होश आ जाता है और वह उठ कर खड़ा हो जाता है। 

 

रूपल और अभिषेक की जान में जान आती है अपने लाडले बेटे को होश में आते देख। रूपल अभिरु से पूछती है 'बेटा, तुम ठीक हो, तुमने क्या खाया' ? 

अभिरू बोलता है मम्मी मैंने चॉकलेट खाई थी। 

रूपल बोलती है 'किसने दी... चॉकलेट तुमको'? 

अभिरू बोलता है 'पता नहीं मम्मी मैं नहीं जानता कौन आंटी थी वो' ???


रूपल अभिरु को जोर से डांटती है तुम्हें मैंने हजार बार मना किया है किसी अजनबी के हाथ से कोई चीज नहीं लेते और ना खाते हैं। अभिषेक रूपल को कहता है 'चलो... कोई बात नहीं अब अभिरु ठीक है घर चल कर बात करते हैं'। 


नीलकंड महादेव के दर्शन के बाद अभिषेक अपने परिवार को लेकर गाड़ी में बैठ जाता है और घर की ओर निकल जाता है। शाम हो चुकी थी... रूपल रसोई में रात के खाने की तैयारी कर रही थी, उस दिन घर में अभिषेक के लिए उसका मनपसंद चिकन बनाया हुआ था और स्वाति, अभिरु के लिए मटर पनीर बनाया हुआ था, क्योंकि स्वाति और अभिरु नॉनवेज नहीं खाते थे। 


रात का भोजन करने के बाद अभिषेक, रूपल और स्वाति, अभिरु अपने अपने कमरे में सोने चले जाते हैं। रात के 3:00 बजे रूपल को कुछ आवाज आ रही होती है। उसे लगता है घर में कोई चोर घुस आया है।


 रूपल–अभिषेक को जगाने की कोशिश करती है, लेकिन अभिषेक बहुत गहरी नींद में सो रहा होता है l फिर रूपल हिम्मत दिखाकर खुद ही हाथ में डंडा लेकर नीचे जाती है। लेकिन उसे नीचे कोई नजर नहीं आता...

तभी अचानक...!!!

 उसकी नजर रसोई पर पड़ती है। रूपल को रसोई के अंदर से रोशनी नजर आती है। रूपल को लगता है अंदर कोई है; रूपल सावधान हो जाती है, लेकिन उसके मन में डर भी रहता है रूपल आवाज लगाती है कौन है ? लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आती। 

 

फिर रूपल हिम्मत कर के डरते डरते –धीरे.. धीरे.. धीरे.. रसोई के अंदर जाती है और देखती है... रसोई के अंदर फ्रिज का दरवाजा खुला हुआ है फिर रूपल रसोई की लाइट जलाती हैं और रसोई मे उसे वो नजर आता है, जिसे देख कर रूपल के होश उड़ जाते है।


उसे समझ नही आया की ये सब क्या है। जमीन पर मांस के टुकड़े नजर आ रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने कच्चा मांस खाया है।  

रात को ही रूपल ने चिकन बनाया था...


रूपल ने बचा हुआ कच्चा चिकन फ्रिज के अंदर रख दिया था जोकि गायब था, रूपल यह देखकर घबरा गई। वह यह समझ नहीं पा रही थी कि इतनी रात को फ्रीज खोलकर कच्चा चिकन कौन खा सकता है। रूपल चुप-चाप अपने कमरे मे चली जाती है और सो जाती है।


सुबह हो जाती है रूपल रसोई में बच्चों और अपने पति अभिषेक के लिए नाश्ता बना रही होती है, लेकिन उसके मन में वही बात चल रही होती है की फ्रिज खोलकर कच्चा मांस किसने खाया होगा वह भी इतनी रात को।

डाइनिंग टेबल पर रूपल बच्चों से और अभिषेक से पूछती है, 'क्या कल रात को रसोई में कोई गया था अभिषेक कहता है क्यों क्या हुआ'?

 स्वाति कहती है, 'नहीं मम्मी मैं तो नहीं गई, रूपल अभिरु से पूछती है अभिरु क्या रात को तुम गए थे रसोई मे'।


अभिरू कहता हैं, 'नही तो मम्मा, मेरे ख्याल से टफी गया होगा'। 

टफी एक लैब्राडोर नस्ल का कुत्ता था और उस घर का पालतू और वफादार था। घर मे सब टफी से बहुत प्यार करते थे। शोभा ने सोचा हो सकता है रात को फ्रिज खुला रह गया हो और टफी सारा कच्चा चिकन खाया गया हो।


नाश्ते के बाद अभिषेक अपने ऑफिस चला जाता है और रूपल अपने घर के काम में व्यस्त हो जाती है। दोनों बच्चे अपने अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगते हैं। दोपहर हो जाती है। रूपल ने अपने दोनों बच्चों के लिए दुपहर का खाना बना कर डाइनिंग टेबल पर रख दिया और दोनों बच्चों को आवाज लगाई अभिरु,  स्वाति आ जाओ खाना खा लो। दोनो बच्चे नीचे आ जाते है। रूपल टफी का खाना भी कर देती हो और टफी को आवाज लगाती है। टफी भागा भागा आता है लेकिन वो खाना ना खा कर अभिरु की तरफ भागता है और भौंकने लगता है। रूपल टफी को शांत रहने के लिए कहती है लेकिन टफी शांत होने के बजाय और तेज तेज भौंकने लगता है। रूपल टफी को डांट कर भागा देती है। सूरज ढलता जाता है और शाम होती चली जाती है।


शाम के 8:00 बज चुके थे, अभिषेक घर आता है। रूपल ने अभिषेक और अपने दोनों बच्चों के खाने का इंतजाम पहले से डाइनिंग टेबल पर कर रखा था। रुपल टफी का खाना करके टफी को आवाज लगाती है, टफी भागा भागा आता है लेकिन वो फिर से खाना नहीं खाता और अभिरु पर भोखने लगता है। टफी की ये हरकत रूपल और अभिषेक को अजीब सी लगती है... 

रूपल अभिषेक को कहती है, 'पता नहीं इसे क्या हो गया है, दुपहर को भी ये अभिरु पर भौंक रहा था'। 

अभिरू कहता है, 'कोई बात नही मम्मा मै इसे चुप कराता हु, जैसे ही अभिरु टफी को हाथ लगाने ही वाला होता है'। 

टफी अभिरु का हाथ काट लेता हैं, अभिषेक और रूपल टफी पर चिल्लाते है, टफी अभिरु के हाथ पे काट कर वहा से भाग जाता है। रूपल अभिरु के हाथ पर दवाई लगाकर अभिरु को  कमरे में सुलाने के लिए ले जाती है।


रात के 3:00 बज चुके थे, रूपल और अभिषेक अपने कमरे में सो रहे होते हैं अचानक किसी कुत्ते के रोने और चिल्लाने की आवाज आती है, रूपल की आंख खुल जाती है। रूपल अपने कमरे से बाहर निकल कर सीढ़ियों से नीचे आती है यह देखने के लिए कि, यह आवाज कहां से आ रही हैं। लेकिन रूपल को वहां कुछ नजर नहीं आता। रूपल घर का दरवाजा खोलती है और टफी के डॉग हाउस की तरफ जाती है, टफी को देखने के लिए कि कही ये आवाज टफी की तो नही थी। लेकिन टफी अपने डॉग हाउस में नहीं होता। रूपल टफी को आवाज लगाती है लेकिन टफी नहीं आता फिर रूपल टफी को ढूंढने के लिए घर के अंदर जाती है फिर उसे अचानक स्टोर रूम से बहुत तेज आवाज आती है। घर में बहुत अंधेरा होता है ,रूपल स्टोर रूम की तरफ तेजी से भागती है और स्टोर रूम की लाइट जलाती है।


स्टोर रूम की लाइट जलाते ही रूपल के होश उड़ जाते हैं उसे चक्कर आने लगते है वो जोर से चिल्लाती है....अभिषेक!...अभिषेक!...अभिषेक!


अभिषेक रूपल की आवाज सुनकर जाग जाता है और भागा भागा नीचे की तरफ आता है। स्टोर की लाइट जलते देख अभिषेक स्टोर की तरफ तेजी से भागता है और स्टोर का मंजर देख कर अभिषेक के चेहरे की हवाइयां उड़ जाती है। अभिषेक जोर से चिल्लाता है, 'यह क्या हुआ यह किसने किया'???


अभिषेक की आवाज सुनकर स्वाति और अभिरु भी वहां आ जाते हैं। लेकिन अभिषेक  स्वाति और अभिरु की आंखें बंद कर उन्हें वहां से जाने के लिए कहता है। दोनों बच्चों के वहां से जाते ही अभिषेक रूपल से कहता है, 'यह सब क्या है रूपल'... 

रूपल कहती है,' अभिषेक मुझे नहीं पता मुझे बहुत डर लग रहा है अभिषेक'!!!


अभिषेक और रूपल जिस चीज को देख कर इतने घबरा जाते हैं वह चीज कोई और नहीं बल्कि... टफी की आधी खाई हुई लाश होती है। रूपल तुफी को इस हालत में देख रोने लगती है, अभिषेक और रूपल समझ नहीं पाते कि यह सब किसने किया होगा, लेकिन इतना जरूर है कि यह काम इंसान का नहीं किसी जानवर का है लेकिन घर के दरवाजे बंद है ऐसा कौन सा जानवर है जो बिना दरवाजा खोले घर के अंदर आकर टफी को खा गया, अभिषेक टफी की लाश को बाहर गार्डन में गाड़ देता है।


इस हादसे को 4 दिन बीत जाते हैं, रात का समय होता है सब लोग अपने अपने कमरे में सो रहे होते हैं। रात 3 बजे अचानक....... अभिरु की आंख खुलती है। और वह अपने कमरे की खिड़की से बाहर को देखता है और मुस्कुराता है, फिर अभिरु नीचे जाता है और घर का दरवाजा खोल के बाहर चला जाता है। अभिरु की बड़ी बहन स्वाति जाग जाती है। वो अभिरु  को आवाज लगाती है। स्वाति अभिरु को ढूंढने के लिए उठ जाती है, उतने मे स्वाति की नजर खिड़की पर जाती है। बाहर उसे अभिरु किसी औरत के साथ बात करता नजर आता है। 


स्वाति ये देख के समझ नहीं पाती की ये औरत कौन है और अभिरु इस से मिल क्यों रहा है। नीचे खड़ी उस डरावनी औरत की नजर खिड़की पर पड़ जाती है और वह स्वाति को देख लेती है। वो औरत अपनी बड़ी बड़ी आंखों से स्वाति को घूर रही होती है। अभिरु भी पीछे मुड़ कर खिड़की की तरफ देखता है उसके आंखे लाल होती है। स्वाति ये देख के डर जाती है, और वो कमरे से बाहर निकल कर अपने मां बाप को बताने के लिए उनके कमरे मे जा रही होती है। 


स्वाति बस अभिषेक और रूपल के कमरे के पास होती ही है की कोई उसका हाथ पकड़ लेता है। स्वाति मुड़ के देखती है तो वो अभिरु होता है। लाल आंख सफेद सा चेहरा देख स्वाति डर जाती, उसकी आवाज निकलनी बंद हो जाती है। अभिरु बोलता है कहा जा रही थी हम्मम्मम्म। 


स्वाति अभिरु  से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है लेकिन वो नहीं छुड़वा पाती, अभिरु स्वाति को खीच कर सीढ़ियों के पास ले जाता है और धक्का दे देता है। 


सुबह हो जाती है रूपल अपने कमरे से बाहर निकलती है और नीचे जा रही होती है अचानक उसकी नजर जमीन पर खून से लथपथ हालत में पड़ी स्वाति पर पड़ती है। रुपल जोर से चिल्लाती है, 'अभिषेक.... अभिषेक.... जल्दी आओ देखो ये क्या हो गया रूपल रोने लगती है'। 

अभिषेक तुरंत आता है और स्वाति की हालत देख के रोने लगता है। और उसे उठा कर गाड़ी से हस्पताल चला जाता है। डॉक्टर उसका इलाज करते लगते है। डॉक्टर अभिषेक को बताते हैं, चोट बहुत ज्यादा लगती है, सर और पैर मे चोट आई है ठीक होने मे बहुत समय लगेगा। खून ज्यादा बह गया है, खून की जरूरत होगी। अभिषेक खून का इंतजाम करता है। 


इस घटना को 3 दिन हो चुके थे अभिषेक स्वाति को घर ले आया था। पैर मे चोट लगने के कारण स्वाती का चलना मुमकिन नहीं था तो अभिषेक उसके लिए व्हीलचेयर ले आया था। अचानक स्वाति के सामने अभिरु आ जाता है और स्वाति तेज तेज सांसे लेने लगती है। रूपल समझ जाती है की स्वाति कुछ कहना चाहती है। रूपल स्वाति से कहती है क्या हुआ बेटा कुछ चाहिए। लेकिन स्वाति की आवाज नहीं निकलती... 

अभिषेक कहता है, 'रूपल स्वाति को आराम करने दो और ये कह कर अभिषेक स्वाति को कमरे मे ले जाता है'। 


स्वाति कमरे मे अकेली होती है, अभिरु उसके पास आकर बोलता है, 'तुम सही हो'??? 

स्वाति गर्दन हिलती है।।। 

अभिरु कहता है, 'अगर तुमने उस रात के बारे मे किसी से कुछ कहा तो तुम सही नही रहोगी। अपना मुंह बंद रखना'। 


अगली सुबह अभिषेक ऑफिस जा रहा होता है। तो रूपल उसे कहती है, 'शाम को मटन ले आना बहुत मन है'। 


अभिषेक शाम को कच्चा मीट ले आता है। रूपल अपने और अभिषेक के लिए मटन और बच्चो के लिए मिक्स वेज बनाती है। डायनिंग टेबल पर खाना लगा हुआ होता है। अभिषेक स्वाति को ले कर आता है। और अभिरु को रूपल आवाज लगाती है। अभिरु बेटा... खाना खा लो नीचे आजाओ।


अभिरु भी आ जाता है। डाइनिंग टेबल पर मटन देख अभिरु से रहा नही जाता और वह जानवरो की तरह सबके सामने मटन खाने लगता है। रूपल और अभिषेक के होश उड़ जाते है। रूपल अभिषेक से दीमी आवाज मे कहती है। अभिरु तो नॉनवेज खाता नहीं, फिर ये नॉनवेज कैसे खा रहा है जैसे इसका मनपसंद हो। अभिरु सारा मीट खुद अकेले खा जाता है, अभिरु की इस अजीब हरकत देख कर सब हैरान और परेशान हो जाते है। अभिरु और मांगता है। रूपल कहती है। मैने बस इतना ही बनाया था। फ्रिज मे कच्चा रखा हुआ है, सुबह और बनाती हु। 


अभिरु उठ के चला जाता है। रूपल अभिषेक एक दूसरे का चेहरा देखते रह जाते है, उसी रात 3 बजे कुछ बर्तन गिरने की आवाज आती है। रूपल की आंख खुल जाती है। वह नीचे जाकर देखती है तो रसोई से रोशनी आ रही होती है। रूपल बिना आवाज करे जाती है और अपने फोन की टॉर्च जला कर देखती है, जैसे ही रूपल फोन की टॉर्च जला कर फ्रिज की तरफ देखती है। उसकी रूह कांप जाती है। उसे यकीन नहीं होता जो उसने वहा देखा। 


उसने देखा अभिरु, कच्चा मांस खा रहा था वो भी जानवरो की तरह, रूपल डर जाती है। अभिरु की नजर रूपल पर पड़ जाती है। अभिरु की लाल आंखे और सफेद सा चेहरा देख रूपल के हाथ पैर कांपने लगते है और वो भागती हुई अपने कमरे की तरफ जाती है। और अभिषेक के बगल मे डरते हुए कांपते हुए लेट जाती है।


अगली सुबह रूपल अभिषेक को सारी बात बताती है और उसे शक होता है टफी को भी जरूर अभिरु ने खाया होगा। अभिषेक ये सब सुन के सहम जाता है। रूपल अभिषेक को बताती है जब से अभिरु ने मंदिर मे उस औरत के हाथ से चॉकलेट खाई है, तभी से ऐसा हो रहा है।


अभिषेक रूपल से कहता है, 'तो बताओ अब क्या करें'??? 

रूपल अभिषेक को एक सिद्ध बाबा के बारे मे बताती है। वह बाबा मेहदीपुर बालाजी मे ऊपरी साया और जादू टोना काटने का काम करते थे। लोग अपनी अपनी समस्या बाबा को बताते है और बाबा उनकी समस्या हल कर देते है। 


रूपल कहती है, 'मेरे मौसा उनको अच्छे से जानते है, तुम जाओ और तुरंत बाबा को ले कर आओ'। 

अभिषेक तुरंत सुबह निकल जाता है, बूंदी से मेहदीपुर की दूरी लगभग 300 km हैं। 6 घंटे के लंबे सफर के बाद अभिषेक रूपल के मौसा को ले कर बाबा के पास जाता है और उन्हें पूरी बात बताता है। 


उधर रूपल और स्वाति  घर में अकेले थे। स्वाति अपने कमरे में ड्राइंग कर रही थी और रूपल रात के खाने की तैयारी कर रही थी। अभिरु रूपल के पास आ कर कहता है, 'रात को तुमने क्या देखा'???

रूपल के माथे पर पसीने आ जाते हैं वह कहती है, 'कु.. कु... कुछ... कुछ नहीं। अभिरु के हाथ मे चाकू होता है'।

रूपल अभिरु के हाथ मे चाकू देखकर डर जाती है, रुपल कहती है, 'यह चाकू तुम... तुम क्या करने वाले हो'??? बेटा मैं तुम्हारी मां हो। इतने में अभिरु रूपल पर चाकू से हमला कर देता है, हमले में रूपल का हाथ कट जाता है और खून बहने लगता है। 

रूपल जोर की चिल्लाती है, 'कोई बचाओ... अभिरु ये तुम क्या कर रहे हो। तुम मेरे बेटे हो??? अचानक पीछे से आवाज आती है, 'यह तुम्हारा नहीं मेरा बेटा है'।


रूपल पीछे मुड़ के देखती है तो उसे एक काली साड़ी में एक डरावनी गंदी सी औरत दिखती है। रूपल कहती है, 'कौन हो तुम, हमारे घर में क्या कर रही हो'??? 

वह औरत जवाब देती है, 'मैं वही हूं जिसने तुम्हारे बेटे को कुछ दिन पहले चॉकलेट दी थी, और अब यह तुम्हारा अभिरु नहीं मेरा दीपक है'। 

स्वाति ये सब ऊपर से छिप कर देख रही होती है। लेकिन स्वाति हिम्मत दिखा कर अपनी मां के कमरे मे छिपते छिपाते जाती है। और वहा रखे रूपल के फोन से पुलिस को फोन मिला कर सारी बात बता देती है। 


वह चुड़ैल सी दिखने वाली औरत अभिरु को आदेश देती है कि मार डालो इसे खत्म कर दो इस औरत को, इतने में अभिरु रूपल पर दूसरा वार कर देता है, लेकिन इस बार रूपल बच जाती है। रुपल भाग कर स्टोर रूम में चली जाती है। स्टोर रूम का दरवाजा लकड़ी का होता है अभिरु और वह औरत चाकू और कुल्हाड़ी से वह दरवाजा तोड़ देते हैं। अब रूपल को बचाने वाला कोई भी नहीं होता। रूपल  जमीन पर लेटी हुई हाथ जोड़ कर कहती है...मुझे छोड़ दो... मुझे जाने दो ....मुझे छोड़ दो...!!! 

रूपल रोने लगती है। जैसे ही अभिरु रूपल को जान से मारने के लिए चाकू से हमला करता है। पीछे से कोई उसके ऊपर गंगाजल छिड़क देता है और अभिरु को मानो जैसे किसी ने करंट लगा दिया हो। गंगा जल छिड़कने वाला शख्स कोई और नहीं बल्कि मेहंदीपुर बालाजी का महंत होता है और उसके साथ अभिषेक भी होता है। चुड़ैल सी दिखने वाली वह औरत कुल्हाड़ी से उस बाबा की और हमला करने वाली होती है कि अचानक उसके हाथ पर एक गोली लगती है। उस औरत के हाथ से कुल्हाड़ी नीचे गिर जाती है, गोली चलाने वाला कोई और नहीं बल्कि एक  पुलिस इंस्पेक्टर होता है। पुलिस इंस्पेक्टर अपने साथ दो महिला कॉन्स्टेबल और चार पुरुष कॉन्स्टेबल साथ लाया था। 


इंस्पेक्टर महिला कॉन्स्टेबल को आदेश देता है। गिरफ्तार कर लो इसे... अभिषेक पूछता है, 'सर आपको किसने बुलाया'। 

इंस्पेक्टर ने बताया, 'आपकी बेटी स्वाति ने हमे सही वक्त पर फोन कर दिया, वकाई मे आपकी बेटी बहुत होशियार है'। 

पुलिस कहती है, 'हमे इस औरत की बहुत समय से तलाश थी। ये औरत जादू टोना कर के लोगो की जिंदगी खराब करती है, इतना बोल कर पोलिस उस औरत को ले कर वहा से चली जाती है'। 


बाबा अभिरु को अपने वश मे कर के उसका इलाज शुरू कर देते है। बाबा कहते है इसके अंदर किसी बुरी आत्मा का निवास हो गया है, इसपे जादू टोना किया गया है। लेकिन घबराने की कोई बात नही, सही वक्त पर हम यहां पहुंच गए वरना बहुत बुरा हो सकता था। बाबा कुछ मंत्र उच्चारण करते है। और कुछ पूजा पाठ आरंभ करते है। कुछ देर बाद अभिरु शांत हो जाता है और बेहोश हो जाता है। बाबा कहते है, 'अब बला टली'। 

अभिरु को उसके कमरे मे ले जाओ और सुला दो अब सब सही है। अभिषेक और रूपल हाथ जोड़ कर बाबा को धन्यवाद कहते है। बाबा वहा से चले जाते है। 


अगली सुबह अभिरु को होश आ जाता है, और अपनी मां रूपल से गले लग के बोलता है, 'मम्मा मुझे क्या हुआ था'। 

रूपल कहती है, 'कुछ नहीं बेटा'। 

अब रूपल और अभिषेक के घर मे खुशियां लौट आई थी। अब पूरा परिवार खुशी से रहने लगा था। अभिषेक घर मे नया पालतू कुत्ता ले आया था। सब खुशी खुशी रहने लगे।