एक बंगले की कहानी  Ghost stories in hindi | Horror story in hindi | इस  दुनिया में  बहुत से ऐसे किस्से सच हुए है जो सिर्फ हम अपने बढ़े-बुजुर्गो से सुनते आये है जो काफी हद्द तक सच भी हुए है, जहा किसी का होना महसूस हुआ है, पर ये एक एहसास ही है। जिसमे में हम किसी शक्ति की या अदृश्ये शक्ति के मौजूदगी का पता चलता है, तो वैसे ही एक सच्ची घटना पर आधारित Real Haunted Story आपके लिए आये है।



दोस्तों मैं आपको एक कहानी बता रहा हूं जो बिल्कुल एक सत्य घटना पर आधारित है। जो सत्य घटना मैं आपको बताने जा रहा हूं। वह कहानी है दिल्ली में रहने वाले राहुल दुबे की जो अपने परिवार के साथ रहता था। 1 दिन राहुल दुबे घर में अकेला था । वह टीवी पर न्यूज़ इंडिया 18 पर 'आधी हकीकत, आधा फसाना' देख रहा था, इसमें दिखाया जा रहा था  सालोगरा का भूत बंगला। 


राहुल समाचार देखते - देखते इतना खो गया कि उसमें उसके प्रति रुचि जाग उठी और उसने अपने दोस्त राजीव  को फोन कर के और उस भूत बंगले के बारे में बताया, यह भूत बंगला हिमाचल प्रदेश के सलोगरा में स्थित है। राहुल की बात सुनकर राजीव के अंदर भी उस भूत बंगले के प्रति रुचि उत्पन्न होने लगी, उन दोनों ने फैसला किया कि हिमाचल प्रदेश (सलोगरा) जाया जाए और उस भूत बंगले की सच्चाई पता करी जाए। 


राहुल और राजीव ने अपने घर वालों से झूठ बोला कि वह हरिद्वार जा रहे हैं, राजीव ने अपने दोस्त पिंटू से सालोगरा जाने की ट्रेन की टिकट बुक कराई उसके बाद राहुल और राजीव दोनों निकल पड़े हिमाचल प्रदेश, सालोगरा भूत बंगले की सच्चाई पता करने के लिए। सलोगरा पहुंचने के बाद राहुल और राजीव ने वहीं पर ही एक होटल बुक करा, रात काफी हो रही थी और वह लोग बहुत थक चुके थे तो उन्होंने सोचा कि सुबह निकलते हैं,  उस भूत बंगले की सच्चाई पता करने के लिए। 


राहुल और राजीव ने होटल में अपने लिए खाना ऑर्डर करा। आधे घंटे बाद उस होटल का एक कर्मचारी उनके लिए रात का भोजन लेकर आया राजीव ने पूछा 'भैया रुको यह लो 100 रूपए अपनी टिप और मुझे यह बताओ क्या यहां पर वाकई में ही कोई भूत बंगला है, सालोगर भूत बंगला'।


उस होटल कर्मचारी ने उन दोनों को घूर कर देखा और वहां से बिना बोले चला गया। राहुल और राजीव कुछ समझ नहीं पाए कि वह आदमी बिना बोले कैसे चला गया


राजीव बोला 'खैर छोड़ो खाना खाते हैं और सोते हैं और सुबह निकलते हैं।' 


भूत बंगले के लिए, सुबह के 7:00 बजे राजीव और राहुल दोनों उठ जाते हैं और होटल से अपने लिए सुबह का नाश्ता आर्डर करते हैं। 15 मिनट बाद वही कर्मचारी जो रात को आया था, वही राहुल और राजीव के लिए नाश्ता ले कर आता है और इस बार राजीव और राहुल दोनों दबाव डालकर पूछते हैं कि, 'आप कल कुछ भी बिना बताए क्यों चले गए थे'। 

 

उस होटल कर्मचारियों ने जवाब दिया कि 'आप बात ही ऐसी कर रहे थे जहां कोई जाता नहीं है जिसका नाम लेना भी पाप है आप उसका नाम ले रहे हैं वह भी रात के समय'। 


उस आदमी ने कहा आप कहां से आए हैं, राहुल ने कहा 'हम दिल्ली से आए हैं'

 

उस आदमी ने कहा 'अच्छी बात है चलो सलोगरा में आपका स्वागत है आप यहां की खूबसूरत वादियों के मजे लीजिए और कोई सेवा हो हमें बताइए'


नाश्ते के बाद राहुल और राजीव होटल के बाहर जाते हैं और वहां लोगों से भूत बंगले के बारे में पूछते हैं। लेकिन कोई भी उन्हें ठीक से कुछ भी नहीं बताता


लोगों से पूछते - पूछते राहुल और राजीव को एक बूढ़ा आदमी मिलता है जिसकी उम्र लगभग 90 वर्ष होगी, राहुल उनसे पूछता है 'बाबा हमें आपसे कुछ जानना है क्या आपने सलोगरा में कोई भूत बंगले के बारे में सुना है क्या'? 

 

बाबा बोलते हैं 'क्या बोल रहे हो, तुम उस जगह का नाम भी मत लो वह जगह बहुत श्रापित है। वह रात के समय क्या दिन के समय भी वहा आसपास कोई नहीं जाता और जो जाता है वह या तो मारा जाता है या वह गंभीर रूप से बीमार हो जाता है'। 

बाबा की बात सुनकर राहुल और राजीव सहम जाते हैं।

    

राहुल बाबा से बोलता है 'बाबा हमें पूरी बात बताइए क्या वाकई में ही वहां भूत प्रेत का निवास है'।


बाबा ने कहा 'हां... हां... बच्चों वहां वाकई में ही भूत प्रेत और बुरी आत्माओं का साया है, तुम उस जगह के बारे में मुझसे क्यों पूछ रहे हो वहां मत जाना बच्चों वह जगह तुम लोगों के जाने के लिए अच्छी नहीं है'।  


राजीव कहता है 'नहीं... नहीं... बाबा हम वहां नहीं जा रहे हम तो बस पूछ रहे हैं, हमें कोई बता रहा था तो हमने सोचा चलो पूछते हैं'

 

राहुल कहता है 'बाबा क्या आप हमें बता सकते हैं यह भूत बंगला कहां पर है'।

  

बाबा ने कहा 'वह भूतिया कोठी सलोगरा के अंदर ही है और नेशनल हाईवे 24 से जो शिमला को रास्ता जोड़ता है वहां पर स्थित है। परंतु याद रहे बच्चों वहां बिल्कुल मत जाना भूल कर भी नहीं तो बहुत पछताओगे'।

  

अब राहुल और राजीव को भूतिया बंगले में जाने का रास्ता मिल चुका था। राहुल और राजीव ने सलोगरा में ही किराए पर एक मोटरसाइकिल ली, जिसका किराया प्रतिदिन ₹200 का था। बाबा और कई सारे लोगों के समझाने और मना करने के बावजूद राहुल और राजीव निकल पड़े उस मनहूस भूतिया बंगले के लिए।  2 घंटा मोटरसाइकिल चला कर आखिरकार राहुल और राजीव पहुंच गए उस श्रापित भूतिया बंगले के पास। उस भूतिया बंगले के आसपास कोई भी नहीं था आसपास ना कोई इंसान था ना जानवर ना किसी का घर चारों तरफ बहुत ही शांति थी। राहुल और राजीव को यह सब देखकर बहुत अजीब लगा, लेकिन सबकी बात नजरअंदाज करके राहुल और राजीव उस भूतिया बंगले का दरवाजा खोलते हैं और दाखिल हो जाते हैं उस श्रापित भूतिया बंगले के अंदर। 


बंगले के अंदर पहुंचते ही उन्हें बहुत गर्मी लगती है राजीव बोलता है 'राहुल हम हिमाचल आए हैं और सलोगरा हिमाचल का सबसे ठंडा इलाका है, लेकिन इस बंगले के अंदर इतनी गर्मी क्यों लग रही है जरूर कुछ गड़बड़ है, राहुल'।

 

धीरे-धीरे सूरज ढलने लगता है और शाम होती चली जाती है...


राहुल और राजीव भूतिया कोठी की तीनों मंजिलों में घूम लेते हैं लेकिन उनको वहां पर कुछ नजर नहीं आता, राहुल और राजीव उस भूतिया कोठी की तीनों मंजिलों के एक-एक कमरे को छान मारते हैं, लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं मिलता अंत में वह दोनों उस कोठी से निकलने की सोच रहे होते हैं... जैसे ही वह नीचे जाते है। उन्हें ऐसा लगता है जैसे नीचे कोई है। 


राहुल आवाज लगाता है,'कौन है यहां?? जवाब दो कौन है'? 


इतने में राजीव के पीछे से कोई भागता हुआ जाता है और राजीव बोलता है, 'राहुल ऐसा लगा जैसे मेरे पीछे से कोई गया'। 


राहुल और राजीव दोनों आवाज लगाते हैं 'क्या कोई है यहां पर जवाब दो कोई है'। 

 

थोड़ी देर में वहां रखी कुर्सी अपने आप गिर जाती है और राहुल और राजीव डर जाते हैं। राहुल और राजीव उस कुर्सी की ओर बढ़ते हैं और नीचे झुककर टेबल के नीचे देखते हैं।


उन्हें वहा  पर एक नीली आंखों वाली काली बिल्ली नजर आती है। फिर अचानक उन दोनों के पीछे से कोई... फिर से तेजी से भागता हुआ जाता है। 


राहुल कहता है 'राजीव मुझे लगता है इस कमरे में कोई भागा है मेरे ख्याल से इसी कमरे में कोई है, चलो देखते है'। 

 

जैसे ही राहुल और राजीव धीरे... धीरे... धीरे... उस कमरे की ओर बढ़ते हैं और दरवाजा खोलते हैं, दरवाजा खोलते ही उस कमरे से बहुत गंदी बदबू आ रही होती है।


जैसे ही राहुल और राजीव कमरे के अंदर घुसते हैं दरवाज़ा तेजी से अपने आप बंद हो जाता है। राहुल डर के मारे दरवाजा खोलने की कोशिश करता है लेकिन दरवाजा नहीं खुलता। राहुल और राजीव तेज तेज चिल्ला रहे थे 'खोलो दरवाज़ा... खोलो कोई है कोई हमें बचाओ खोलो दरवाज़ा, किसने बंद किया'?

अब राहुल और राजीव समझ चुके थे जरूर कुछ गड़बड़ है, और उन्होंने यहां आकर बहुत बड़ी गलती कर दी है। 

 

राहुल और राजीव दोनों उस कमरे से बाहर निकलने का रास्ता देखते हैं। राहुल की नजर उस कमरे में टंगी एक तस्वीर पर पड़ती है, वह तस्वीर एक परिवार की थी जिसमें 2 बच्चे और उसके माता-पिता थे। राजीव उस तस्वीर को नीचे उतारता है और देखता है उस तस्वीर के पीछे एक खुफिया रास्ता था। और वहां से बहुत ज्यादा बदबू आ रही थी।


राहुल और राजीव डर जाते हैं, लेकिन वे कमरे में बंद होते हैं, उनके पास इस खुफिया दरवाजे को खोलने के अलावा कोई और चारा नहीं होता, राहुल डरते - डरते  दरवाजा खोलता है और राहुल और राजीव उस दरवाजे के अंदर दाखिल होते हैं। राहुल और राजीव दोनों डरते - डरते अंदर जाते हैं और वहां पर कुछ ऐसा देखते हैं जिसको देखकर उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उन्हें वहां चार कंकाल मिलते हैं, जिसमे से दो कंकाल बच्चों के होते है और दो कंकाल बड़ों के होते हैं। 


राजीव कांपती हुई आवाज में बोलता है 'राहुल मुझे लगता है यह कंकाल उन्हीं चारों के हैं, जिनकी तस्वीर बाहर लग रही थी'। 

राहुल और राजीव थोड़ा और आगे चलते हैं और उन्हें एक सुरंग मिलती है। 


राहुल कहता है 'रुको!!! मैं पहले अंदर जा के देखता हूं'। 

राहुल अंदर जाता है और राजीव उसका बाहर ही इंतजार करता है। बहुत देर हो जाती है...


राजीव आवाज लगता है, राहुल क्या हुआ बहुत देर हो गई क्या कर रहे हो अंदर। एक घंटा इंतजार करने के बाद जब राहुल नहीं आता तो राजीव से रहा नही जाता वो बस उस सुरंग के अंदर मुंह डालता ही है, वहा के नजारे देख कर राजीव के होश उड़ जाते है। वहा लगभग 12 लाशे थी, और राहुल भी वही मरा पड़ा था। 


राजीव की दिल की धड़कन रुक जाती है। वो पागलों की तरह चिल्लाता है। और उस तहखाने से बाहर आ कर इस कमरे का दरवाजा पीटता है। बहुत कोशिश के बाद वो दरवाजा खुल जाता है। और राहुल के सामने 2 छोटे बच्चे सफेद कपड़े पहने खड़े होते है। 


वो राजीव की तरफ इशारा कर के उसे अपने पास बुलाते है। राजीव जैसे तैसे करके दरवाजा खोल कर घर के बाहर जाने की कोशिश करता है। लेकिन दरवाजा नहीं खुलता। राजीव को कुछ समझ नहीं आता, उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है।


फिर राजीव सीढ़ियों से ऊपर की तरफ भागता है। और पहली मंजिल मे एक कमरे मे छिप जाता है। राजीव थोड़ी हिम्मत दिखा कर हनुमान चालीसा का पाठ अपने मन मे करता, परंतु वो इतना डरा और घबराया हुआ होता हैं कि, हनुमान चालीसा भूल जाता है। राजीव पूरा पसीने - पसीने हो जाता है। थोड़ी देर बाद राजीव दरवाजा खोल के देखता है, उसे वहा कोई नजर नहीं आता। राजीव सीढ़ियों के नीचे झांक कर देखता है तो...

 

एक सफेद कपड़े पहने औरत मोमबत्ती ले कर ऊपर की तरफ आ रही होती है। राजीव डर के दूसरी मंजिल पे भागता है। और सीढ़ी पे झांकता है....


तो वो औरत धीरे धीरे ऊपर की तरफ आ रही होती है। राजीव तीसरी मंजिल की तरफ भाग कर एक कमरे मे छिप जाता है। थोड़ी देर बाद कोई उसका दरवाजा खटखटाता है। 


राजीव हाथ जोड़ के भगवान से कहता है, 'भगवान आज शायद मेरी जिंदगी का आखरी दिन है। पिताजी मुझे माफ करना मै झूठ बोल कर यहां आया, कई लोगों के समझाने के बाद भी हम नही माने। हे! भगवान मेरे परिवार को खुश रखना'। 

 

राजीव जिस कमरे मे होता है उस कमरे के बाथरूम से कुछ आवाज आ रही होती है। 

राजीव दबी आवाज मे बोलता है, 'कौन है'?

 वहा से कोई जवाब नही आता, राजीव हिम्मत कर के दरवाजा खोलता है तो वहा कोई नहीं होता।


राजीव जैसे ही पलट कर देखता है तो सफेद कपड़े मे उसे 2 बच्चे और उसके मां बाप सामने खड़े मिलते है। राजीव डर के मारे बाथरूम की खिड़की के शीशे की ओर भागता है और शीशा तोड़ कर तीसरी मंजिल से छलांग लगा लेता है। लगभग 1 हफ्ते बाद राजीव को होश आता है तो वो अपने आप को एक अस्पताल में पता है। उस हादसे के बाद राजीव हमेशा के लिए अपने दोनो पैर खो देता है। ये घटना राजीव ने एक पत्रकार को बताई। कैसे वो झूठ बोल के सलोगरा के भूत बंगले गए। और क्या - क्या घटना, वहा घटी। 


सबके मना करने के बाद भी वो वहा गए। लेकिन राजीव के पास अब सिर्फ पछताने के अलावा कुछ नहीं था। राजीव बहुत कुछ खो चुका था, उसने अपना दोस्त, अपनी टांगे और कुछ महीने बाद राजीव अपना मानसिक संतुलन भी खो चुका था।


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दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि आपको “सलोगरा के भूत बंगले की कहानी (Salogar ke bhoot bangle ki Kahani) Horror Story In Hindi” शीर्षक वाली यह Real Horror Story पसंद आई होगी। हम ऐसी कई Real Ghost Stories In Hindi में सुनने के लिये मिलेगी, इसके लिए आप हमारे ब्लॉग www.night3am.blogspot.com पर बने रहे।